Antariksh

Anuv Jain

Composición de: Anuv Jain
कार्ता मैं बातें मेरी आईने से देखूं तेर
तुझसे कैसे, खुल के वैसे बोलूं मैं ये राज दिल के?
अब तेरे सामने हूँ, कितना कुछ मैं कहना चाह
मुझको ये बता दे फिर क्यों खो जूं मैं अल्फाज़ मिलके?
देखो, ये आईना, आए न तू क्यों यहाँ?
आईने में साथ मेरे तेरी ही तो है जगह
उलझा हूँ अल्फाज़ों में ही, निकले न आवाज़ों में क
पास मेरे, पास में आजा, आजा न

आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ

तेरे सितारों में यां एक तारा हजारों में क्या?
मेरे इन सवालों का मैं ढूंढूं यूं जवाब ऐस
लाखों, हजारों में क्या? मामूली किरदारों में य
आऊं इन ख्यालों में मैं बनके कुछ नायाब ऐस
तू ही है आसमान, मेरे दिल को आजम
आसमानि तारों में मैं ढूंढूं यूं अपनी जगह
मेरे भी ख्यालों में तू, दुनिया के किनारों से य
पास मेरे, पास में आजा, आजा न

आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ

सुन त
एक दिन ये दिल मेरा होगा बेनकाब, ह
और फिर तुझे नजर आएगा क
अंतरिक्ष की तरह ये है बेहिसाब स
और सब तेरा ये हो जाएगा ह

दिल के अफसाने मेरे कह न पाया सालों से म
सोचूं ये खज़ाने मेरे बांटूं सारे आज तुझस
बनते बहाने मेरे, तालु क्यों न जाने कल पे?
हुईं जो अब मैं पास तेरे बैठा हूँ नाराज़ खुद स
बंद है तालों में, तालु सारी बातें य
तालु सारे बातें क्या मैं तेरे इंतज़ार में?
रहता हूँ उम्मीदों में क्या? तू ही मुझको कह देगी आ
पास मेरे, पास में आजा, आजा न

आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ

आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
आ रे आ, आ रे आ
    Página 1 / 1

    Letras y título
    Acordes y artista

    restablecer los ajustes
    OK