तेरी आँखों की किरणों म सूरज का सोना ह जिसको बटोरूं सारी रात तेरे ख्वाबों की धरती प सांसों की गर्मी को छू कर जले हैं मेरे हाथ फिर भी तुझसे शुर तुझपे ही खतम होती है हर मेरी बात मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मेरी दिल की दीवारों प अब तो चढ़ा ह तेरे प्यार का रंग ये लाल लोग ये पूछे क्यूँ हो रहा दीवान पर मैं भी ना बोल क्या है मेरा हाल क्यूंकि तुझसे शुर तुझपे ही खतम होते हैं सब सवाल मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य हर सांस में है तेरा ही नश हर लब्ज़ में तेरी याद हर सांस में है तेरा ही नश हर लब्ज़ में तेरी याद तू ही त दिन के उजालों में ह तू ही अंधेरों के बाद क्यूंकि तुझसे शुर तुझपे ही खतम होते हैं सब जज़बात मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य मैं ना जानूं क्य