तेरे जाने का ग़म और न आने का ग़म फिर ज़माने का ग़म क्या करें? राह देखे नज़र रात भर जाग कर पर तेरी तो ख़बर न मिल बहुत आई गई याद मगर इस बार तुम ही आन इरादे फिर से जाने के नहीं लान तुम ही आना! मेरी देहलीज़ से होकर बहारें जब गुजरती ह यहाँ क्या धूप क्या सावन हवाएँ भी बरसती ह हमें पूछो क्या होता ह बिना दिल के जीये जान बहुत आई गई याद मगर इस बार तुम ही आन ओ कोई तो राह वो होग जो मेरे घर को आती ह करो पीछा सदााओं क सुनो क्या कहना चाहती ह तुम आओगे मुझे मिलन ख़बर ये भी तुम ही लान बहुत आई गई याद मगर इस बार तुम ही आन मरजावां, मरजाव