धीमे धीमे चले पुरवैय बोले थाम तू मेरी बैय संग चल मेरे रोके क्यों जिय हो, धीमे धीमे चले पुरवैय रुत यह अनोखी सी आई सजनिय बादल की डोली म लो बैठी रे बूंदनिय धरती से मिलने को निकले सावनिय सागर में घुलने को चली देखो नदिय धीमे धीमे चले पुरवैय हो, बोले थमा तू मेरी बैय संग चल मेरे रोके क्यों जिय हो, धीमे धीमे चले पुरवैय नया सफर है एक नया हौसल बंधा चिड़ियों ने नया घोसल नयी आशा का दीपक जाल चला सपनों का नया काफिल कल को करके सलाम आचल हवाओं का थाम देखो उड़ी एक धानी चुनरिया ह धीमे धीमे चले पुरवैय हो, बोले थाम तू मेरी बैय संग चल मेरे रोके क्यों जिय हो, धीमे धीमे चले पुरवैय आह पुरवैय चले पुरवैया नय