क्या हुआ? क्यों हुआ? कुछ पता नह ज़िंदगी है जुवान और कुछ नह कल क्या न होग जाने कोई भी यह फिर भी न जाने क्य ये बनते हैं खुद ह्म्म ह मैं ही मैं ह आसमान तक मैं ही मैं ज़मीन ह मैं ही राख ह मैं ही रोशन मैं ही आग भी ह कैसा भी हो लौटता ह वक़्त की है कहान रो रही है मेरी धड़कन सुन रही है ज़ुबान देखो न आगे क्या ह किसको है पता? फिर भी न जाने क्य ये बनते हैं खुद ह