Dil Tu Hi Bataa

Zubeen Garg

Composición de: Zubeen garg
दिल तू ही बत
कहाँ था छुप
क्यूँ आज सुनी तेर
धड़कन पहली बार
दिल तू ही बत
कहाँ था छुप
क्यूँ आज सुनी तेर
धड़कन पहली बार
हाँ दिल ने मेर
सुन ली तेरे दिल की पुकार
दिल की पुकार

दिल तू ही बत
कहाँ था छुप
क्यूँ आज सुनी तेर
धड़कन पहली बार
हाँ दिल ने मेर
सुन ली तेरे दिल की पुकार
दिल की पुकार

दुनिया झूठी लगती ह
दुनिया झूठी लगती ह
सपना सच्चा लगता ह
छुप के तेरी बाहों म
सब कुछ अच्छा लगता ह
यह ऐसी हवा, ऐसी लहर
जिस में सारे बह
जाते हैं यह

बेह गई मैं कह गई म
जो भी मुझे कहना थ
बेह गई मैं कह गई म
जो भी मुझे कहना थ
हाँ दिल ने मेर
सुन ली तेरे दिल की पुकार
दिल की पुकार दिल की पुकार
दिल तू ही बत

बाहों में फलक होता ह
बाहों में फलक होता ह
जन्नत यह ज़मीन लगती ह
क्या प्यार में ये होता ह
हर चीज़ हसीन लगती ह
दिल खोना ही था होना ही थ
इस दिल पे किसी का बस ही कब चल

चली मैं चल
हाँ प्यार की कल
लेके वफ़ा की सदाए
चली मैं चल
हाँ प्यार की कल
लेके वफ़ा की सदाए
हाँ दिल ने मेर
सुन ली तेरे दिल की पुकार
दिल की पुकार
दिल की पुकार

दिल तू ही बत
कहाँ था छुप
क्यूँ आज सुनी तेर
धड़कन पहली बार
हाँ दिल ने मेर
सुन ली तेरे दिल की पुकार
दिल की पुकार दिल की पुकार
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