क्या हुआ?
क्यों हुआ?
कुछ पता नह
ज़िंदगी है जुवान
और कुछ नह
कल क्या न होग
जाने कोई भी यह
फिर भी न जाने क्य
ये बनते हैं खुद
ह्म्म ह
मैं ही मैं ह
आसमान तक
मैं ही मैं ज़मीन ह
मैं ही राख ह
मैं ही रोशन
मैं ही आग भी ह
कैसा भी हो लौटता ह
वक़्त की है कहान
रो रही है मेरी धड़कन
सुन रही है ज़ुबान
देखो न आगे क्या ह
किसको है पता?
फिर भी न जाने क्य
ये बनते हैं खुद
ह